आंवला नवमी
आंवला नवमी :-
कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की नवमी के आंवला काअपना महत्व। है मानव के लिये इसकाफल अमृत के समान। है ।प्रश्न होता है आज के हीदिन पर क्यों इसके नीच बैठकर ब्राह्मणों को खिलाते हुये खाने का महत्व है ।आमला नवमी को अक्षय नवमी भी कहते हैं अक्षय का अर्थ है जिसका कभी क्षय नही हो ।आज के दिन आंवले के वृक्ष के नीचे किये हुये दान पुण्य का अपना फल है जो कभी क्षय नहीं होता । आंवले की जड़ में भगवान विष्णु का वास माना गया है ।एक बार कमललासन पर बैठे ब्रह्मा जी तप में लीन ध्यानस्थ होकर बैठे थे तभी उन्हें विष्णु जी के दर्शन हुये और प्रसन्नता से विह्वल होकर बहते आंसुओं ने विष्णु जी के पैरों का प्रक्षालन कर दिया ।आमलकी बूंदें जब धरा परगिरी तो वहां आंवले का वृक्ष उग आया ।
इस तरह सृष्टि में सबसे पहले आंवला के वृक्ष की उत्पत्ति हुई जिसके मूल में विष्णु जी का निवास माना गया ।आँव का अर्थ है जड़ या मूल ।देववृक्ष आंवला स।ष्टि कामूल है जिसकी उत्पत्ति ब्रह्मा जी के प्रसन्नतापूर्वक आह्लादित होकर गिरे अश्रु बिंदुओं से हुई ।आरोग्य वर्द्धक आंवला केवल इसीऋतु में ही होताहै इसलिये इसकी गणना ऋतु फलों में की जाती है ।पेट के अनेक रोगों में आंवले का चूर्ण फायदा करता है । कफ ,नेत्र रोग एवं कब्ज प्रतिरोधी आंवला अपने आप में बहुत महत्वपूर्ण है ।।
आंवला नवमी
सुनीता गुप्ता सरिता कानपुर
shweta soni
05-Nov-2022 02:19 PM
बेहतरीन रचना
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Khan
04-Nov-2022 05:02 PM
Shandar 🌸🙏
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Palak chopra
03-Nov-2022 08:45 PM
Shandar 🌸
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